चरम प्यार या परम दुर्भाग्य ?

भाग -1- ठांय ठांय रेलगाड़ी की गति धीमी होने लगी थी। शायद रेल्वे स्टेशन आने वाला था। हम दोनों ने एक दूसरे की तरफ देखा जैसे हम एक दूसरे को आश्वासन दे रहे हैं । हम दोनों खड़े हुए और धीरे-धीरे भीड़ को चीरते हुए हमारे कोच के दरवाजे की तरफ बढ़ने लगे ।जब तक … Continue reading चरम प्यार या परम दुर्भाग्य ?